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प्राकृतिक बनाम अब्राहमिक धर्म: अच्छे और बुरे इंसान में भेद का सिद्धांत | नीरज अत्रि |Niraj Atri | पैगंबरवाद का पूर्व पक्ष
सबसे पहला जो आस्पेक्ट है पैगंबरवाद का, वो पूरी की पूरीह्यूमैनिटी को दो कैटागोरिस मैं डिवाइड करता है। वो उनकीटर्मिनोलॉजी अलग हो सकती है, ले
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[Q&A] ‘गुरुकुल शिक्षा पद्धति’ एवं ‘आयुर्वेद का महत्व’
गुरुकुल शिक्षा पद्धति’: https://youtu.be/Y3zYBxpm0iU क्या थी गुरुकुल शिक्षा प्रणाली? कितनी प्रकार की पद्धतियाँ होती थीं इस प्रणाली में? कहाँ से आरम्भ होती थी शिक्षा? क्या शिक्षा केवल विषय-ज्ञान तक सीमित…
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इसाई पंथ और भारत – डॉ. सुरेन्द्र कुमार जैन का व्याख्यान
संपूर्ण विश्व में प्रेम व शान्ति का स्वरुप माने जाने वाले इसाई धर्म के विस्तार का इतिहास रक्त से सना है, ये तथ्य कम ही लोग जानते हैं| यूनान, रोम…
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संत रैदास जी को जब इस्लाम को अपनाने को कहा गया
संत रैदास जी का एक यह हैं, जब उनको दबाव डाला गया कि तुम इस्लाम क़ुबूल करो तो उन्होंने लिखा :- वेद धरम सबसे बड़ा अनुपम सच्चा ज्ञान I फिर…
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रामानंदाचार्य ब्राह्मण वादी नहीं थे
स्वामी रामानंद ने “वैष्णव मताब्ज भास्कर” में लिखा हैं : प्राप्तम पराम सिद्धधर्मकिंचनो जानो द्विजातिरछां शरणम हरीम व्रजेत परम दयालु स्वगुणानपेक्षित क्रियाकलापादिक जाती बन्धनं सिद्धि प्राप्ति के लिए धन का…
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कबीर का रामानंद जी का शिष्य न होने का दावा
आचार्य हज़ारीप्रसाद द्विवेदी ने कबीर पर सबसे सुन्दर किताब लिखी हैं I निर्विवाद रूप से उनकी किताब सबसे अधिक शोध और गहन अध्ययन के बाद लिखी गयी है, और वैसे…
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निराला की कविता – तुलसीदास
हिंदी के महान कवी निराला ने एक कविता लिखी हैं तुलसीदास के ऊपर I उस कविता की चर्चा साहित्य की आलोचना का जो जगत हैं, उसमे गुम हैं I कोई…
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रामानंदाचार्य के १२ प्रमुख शिष्य
स्वामी रामानन्द जगह-जगह से तीर्थ करके जब वापस लौटे, तब उन्होंने यह निर्णय लिया कि इस भयावह समस्या से निपटने लिए, दूसरे स्तर पर युद्ध करना होगा I सांस्कृतिक युद्द,…
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घर वापसी में रामानंद जी का योगदान
जो लोग रामानंद को काटते हैं, जो लोग रामानंद से कबीर को अलग कर देते हैं, उनका पूरा agenda ही इसी line पर चलता हैं के, वे आपको …आपके सामने…
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आदी शंकर की परंपरा के कालक्रम को अंग्रेजों ने क्यों विकृत किया ?
अंग्रेजों को मालूम था, कि जब-जब इतिहास की समीक्षा होगी तब-तब हमको Villan के रूप में देखा जायेगा I क्योकि हमने यहाँ पे इतने लूट-पाट कर लिए हैं, ऐसे-ऐसे नरसंहार…