
संत रैदास जी को जब इस्लाम को अपनाने को कहा गया
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संत रैदास जी का एक यह हैं, जब उनको दबाव डाला गया कि तुम इस्लाम क़ुबूल करो तो उन्होंने लिखा :-
वेद धरम सबसे बड़ा अनुपम सच्चा ज्ञान I
फिर मैं क्यों छोड़ू इसे पढ़लू झूट कुरान
वेद धरम छोड़ू नहीं कोसिस करो हज़ार I
तिल तिल काटो चाही गौदो अंग कतार I
अब यह बताईये कि जो समाज में सबसे निचली श्रेणी में खड़े हैं वह कहतें हैं वेद,धरम सबसे बड़ामैं इसे किसी भी कीमत पर त्याग नहीं सकता I क्योकि वह जो अनुपम ज्ञान हैं और आप कहतें हैं कि छोटी जातियों के साथ इतना अन्याय हुआ I अगर अन्याय हुआ होता तो क्या रैदास वेद धरम और कहतें हैं कि तुम मेरा अंग काटो ? चाहे कटार से गोत दालों तभी मैं नहीं त्यागूंगा ?