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मंसूर अल-हलाज – एक योगी और रहस्यवादी
” तृण की तरह मैं कई बार उछल जाता हूं बहने वाली नदियों के किनारों पर कई हजार वर्षों तक मैं हर तरह के शरीर में रहता हूं और कर्म…
धर्मो रक्षति रक्षितः। Dharmo Raksati Raksitah.
Dharma protects those who protect it.
– Veda Vyas, Mahabharat
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” तृण की तरह मैं कई बार उछल जाता हूं बहने वाली नदियों के किनारों पर कई हजार वर्षों तक मैं हर तरह के शरीर में रहता हूं और कर्म…