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सत्य में श्रद्धा की आहुति ही यज्ञ है !!!
श्री राजेन्द्र रंजन चतुर्वेदी जी द्वारा—- शतपथब्राह्मण ११-२-२-४ में एक प्रसंग है, तद्वैतज्जनको वैदेह: याज्ञवल्क्यं प्रपच्छ वेत्थाग्निहोत्रं ? विदेहजनक ने याज्ञवल्क्य से पूछा कि क्या आप अग्निहोत्र के तत्त्व को…
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संत रैदास जी को जब इस्लाम को अपनाने को कहा गया
संत रैदास जी का एक यह हैं, जब उनको दबाव डाला गया कि तुम इस्लाम क़ुबूल करो तो उन्होंने लिखा :- वेद धरम सबसे बड़ा अनुपम सच्चा ज्ञान I फिर…
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रामानंदाचार्य ब्राह्मण वादी नहीं थे
स्वामी रामानंद ने “वैष्णव मताब्ज भास्कर” में लिखा हैं : प्राप्तम पराम सिद्धधर्मकिंचनो जानो द्विजातिरछां शरणम हरीम व्रजेत परम दयालु स्वगुणानपेक्षित क्रियाकलापादिक जाती बन्धनं सिद्धि प्राप्ति के लिए धन का…
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कबीर का रामानंद जी का शिष्य न होने का दावा
आचार्य हज़ारीप्रसाद द्विवेदी ने कबीर पर सबसे सुन्दर किताब लिखी हैं I निर्विवाद रूप से उनकी किताब सबसे अधिक शोध और गहन अध्ययन के बाद लिखी गयी है, और वैसे…