धर्मो रक्षति रक्षितः। Dharmo Raksati Raksitah.

Dharma protects those who protect it.

– Veda Vyas, Mahabharat

धार्मिक ज्ञान को ग्रंथों के माध्यम से प्रसारित करने की आवश्यकता नहीं है


हम एक ऐसी सभ्यता हैं जिसके मूल में ज्ञान की बृहत् खोज करना है।

हिन्दू धर्म जैसा कोई और धर्म नहीं है। यह ज्ञान परंपराओं की धारा का एक समूह है जिसमे आंतरिक और बाह्य दोनों दुनिया के ज्ञान की खोज चल रही है। वस्तुतः हम सदा से ऐसे ही थे जिसके अंतर्गत हम इन दोनों क्षेत्रों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान में थे। इसलिए मौलिक रूप से हम ज्ञान परंपरायें हैं जो कई अलग-अलग तरीकों से प्रेषित होती हैं, क्योंकि ज्ञान को ग्रंथों के माध्यम से प्रसारित नहीं करना पड़ता है। आप अपने बेटे को साइकिल चलाना सिखाते हैं। क्या आप उसे इसके लिए किताब देते हैं? सीखने के विभिन्न तरीके हैं, ग्रंथ भी एक तरीका हो सकता है, लेकिन ग्रंथ ही एकमात्र तरीका नहीं है। और यह निश्चित रूप से प्रमुख तरीका नहीं है। आज भी मनुष्य मूलत: अवलोकन, पुनरावृत्ति, अनुकरण के माध्यम से सीखता है न कि ग्रंथों के माध्यम से। यह प्राकृतिक और जैविक है।

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