धर्मो रक्षति रक्षितः। Dharmo Raksati Raksitah.

Dharma protects those who protect it.

– Veda Vyas, Mahabharat

शिव आगम का अवतरण कैसे हुआ?


शिव आगम वे आगम हैं जो स्वयं महादेव द्वारा प्रकट किए गए थे। कामिका आगम, जो सबसे महत्वपूर्ण अगमों में से एक माना जाता है, में इसका वर्णन पाया जाता है। इसमें महादेव को पंचमुख के रूप में वर्णन किया गया है – सद्योजात, वामदेव, अघोरा, तद्पुरुष और ईशान। महादेव के इन चेहरों में से प्रत्येक में पांच और मुख थे। इन पाँच में से प्रत्येक मुख से लौकिक, वैदिक, आध्यात्मिक, अतिमार्ग और मंत्र आगम प्रकट हुए। ये केवल नाम नहीं हैं, बल्कि आगम की श्रेणियां हैं। इस प्रकार कुल 25 मुख बनते हैं।

सद्योजात मुख से 24 रूपों वाला भूत तंत्र (उदाहरण – कौल तंत्र) प्रकट हुआ। वामदेव मुख से 24 रूपों वाला वामतंत्र प्रकट हुआ; अघोर मुख से भैरव तंत्र प्रकट हुआ; तत्पुरुष मुख से 24 रूपों वाला गरुड़ तंत्र और इशान मुख, जो सबसे महत्वपूर्ण है और जो मोक्षदायी है, से दो प्रकार के आगम प्रकट हुए – रुद्र भेद और शिव भेद। रुद्र भेद की संख्या अठारह हैं और शिव भेद की दस। शिव भेद के नामों का उल्लेख इस प्रकार है – योग, चिन्त्य, करण, अजीत, दीप्त, सूक्ष्म, सहस्र, अंशुमम और कामिका। इनमें से, कामिका को सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। कामिका आगम में अगमों की कुल संख्या पच्चीस बताई गयी है, लेकिन शिव के कुछ अन्य मुखों द्वारा भी आगम प्रकट हुए हैं।

इससे हमें आगमों की विशालता, लंबाई, चौड़ाई और गहराई का बोध होता है।

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