जो लोग रामानंद को काटते हैं, जो लोग रामानंद से कबीर को अलग कर देते हैं, उनका पूरा agenda ही इसी line पर चलता हैं के, वे आपको …आपके सामने कुछ ऐसा तर्क नहीं देंगे ऊल -जलूल type की बातें करेंगे I लेकिन रामानंद जी का योगदान बहुत ज़्यादा हैं इसलिए, क्योकि क्योकि आगे देखिये जो उन्होंने कार्य किया वह किसी और ने नहीं किया था I एक योद्धा संत का कार्य हैं I
दरअसल उस समय जो समाज में…हम slide को आगे बढ़ाएंगे…प्रचलित जो था, कि हिन्दू जिसके गले पर तलवार रख दी जाती थी, वह तो मुसलमान बनने के लिए बाध्य था I उसके पास और कोई चारा नहीं था, या तो मर गया, कट गया या, जल गया या फिर क्या करेगा, मुसलमान ही बनेगे, उसके पास तो कोई चारा नहीं था I
लाखों की तादात में धर्म परिवर्तन हुआ I धर्म परिवर्तन हुआ तो…लेकिन हिन्दू जो अपने धर्म और इस मान्यता को करके बड़े दुराग्रही थे I उन्होंने कहा कि, नहीं वापस हिन्दू धर्म में नहीं आ सकते I यह बड़ी समस्या थी I इसमें थोड़ा खुला सोच रखना था I लेकिन नहीं हुआ I तो रामानंद ने काशी के पंडितों से मान्यता दिलाई और हिन्दुओं को वापस मुसलमान .. मुसलमान हो गए थे जो हिन्दू उन्हें हिन्दू धर्म में वापस दीक्षित किया I उसके लिए उन्होंने विलोम मन्त्र दिया जिसे परावर्तन संस्कार भी कहतें हैं I
देखिये इसमें उन्होंने क्या लिखा हैं I आपने यह बात मैं कह चूका हूँ, लेकिन मैं आपके सामने एक श्लोक उदृत करना चाहता हूँ, कि रामानंद जी क्या कहतें हैं I सबसे बड़ी बात यह हैं, कि धर्म नगरी काशी से उन्होंने मान्यता दिलाई और “वैष्णव मताब्ज भास्कर” जो उनका ग्रन्थ हैं, उसमे उन्होंने लिखा हैं, कि “अयोध्या के राजा हरी सिंह की अगवाई में ३४,००० राजपूत जो मुसलमान हो गए थे वे उन्हें वापस हिन्दू धर्म में दीक्षित हुए I”
रमानन्दस्य शिस्यौ वै छायोध्यामुपागत
कृत्वा विलोमाः तं मंत्रम वैष्णववाणस्थानकारयत
यह देखिये I इसके आगे उन्होंने लिखा हैं, कि जो लोग कुछ दिनों पहले तक किसी और मज़हम, धर्म के अनुयायी हो गए थे वो, अब अपने कंठ में तुलसी की माला लिए घुमते हैं, माथे पर वैष्णव टीका लगाते हैं, जिव्हा पर राम का मन्त्र है I
कण्ठे च तुलसी माला जिव्हा राममयी कृता
म्लेच्छासते वैष्णवश्चान रामनंदप्रभावत
उनके गले में तुलसी की माला है और जिव्हा पर राम का नाम है और वो रामानंद के प्रभाव से म्लेच्छ से वैष्णव होकर आनंदित है I
अब इतना बड़ा कार्य, लेकिन यह कार्य वो वामपंथियों को बहुत खटकता होगा I क्योकि उन्हें यह स्वीकार हैं कि missionary या दुसरे लोग धर्मान्तरित कर दे, वह तो समज की सहज धारा हैं, हिन्दू अत्याचार करतें हैं तो वह किसी और धर्म में चला गया तो अच्छा ही हुआ, लेकिन जब वह वापस हिन्दू बने तो उसमे बहुत सारी मुश्किलें हैं I इसलिए रामानंद को, जो मेरी दृष्टि कहती हैं, कि उन्हें सबसे अधिक बात जो खटकी होगी वह यह, कि रामानंद ने वापस हिन्दू से जो मुसलमान हो गए थे उन्हें वापस हिन्दू बना दिया I यह तो बड़ा ही निकृष्ठ कार्य हैं I तो इस तरह से उनको दूर किया गया, पाठ्यक्रम से