भगवान् शंकराचार्य को जानना अवतार परंपरा को जानना है, सनातन धर्म की I भगवान् शंकराचार्य को जानना , unity in diversity को जानना है I भगवान् शंकराचार्य को जानना national integration को जानना है, भगवान् शंकराचार्य को जानना social reform को जानना है, समाज सुधार को जानना है I भगवान् शंकराचर्या को जानना सनातन धर्म की पुनर संस्थापना को जानना है I
ढाई हज़ार वर्ष से वर्त्तमान तक सतत, नित्य निरंतर, अनवरत रूप से सनातन धर्म के प्रशस्थ मानबिन्दुओं की रक्षा करने का श्रेय अगर किसी को जाता हैं, तो वह जाता है शंकराचार्य परंपरा को I शंकराचार्य परंपरा अगर न होती, भगवान् शंकराचार्य का अवतार न हुआ होता तो, इन ढाई हज़ार वर्षों में सनातन धर्म की क्या दुर्गति हुई होती यह समझा जा सकता है I
१७ बार invasion होते हैं हम पे I १७ बार आक्रमण होते हैं भारत के ऊपर I इतिहास उठा के देखिये आप, ५२३ बी सी में डोरस आता है, पर्शियन किंग, वह आक्रमण करता है भारत पर I उसके बात ३२७ बी सी में Alexander आता है I उसके बाद में डेमिटृस आता है Indo –Greek I उसके बाद बाद में Parthians आतें है ईरान से वह आक्रमण करते हैं भारत पर I उसके बाद में शाका आतें हैं I शकों के आने के बाद में कुषाण आतें है I फिर हूण आतें है I उसके बाद में अरब invasion होता है I अरब invasion के बाद में भारत के ऊपर फिर दुबारा invasion चालू होता हैं I मेहमूद ग़ज़नी आता है I उसके बाद में मोहम्मद घोरी भी आता है I फिर १२०६ में ग़ुलाम वंश की स्थापना होती है दिल्ली सल्तनत की जिसके अंतर्गत ४ slave dynasties आती है I
उसके बाद में, उसी समय चंगेज़ खान भी आता है मंगोल से I उसके बाद में फिर मुग़ल आतें है उसके बाद में colonial rule जिसको कहते है British आतें हैं, French आतें हैं, Dutch आतें हैं, Portugese आतें है I तो इतने invasion झेल लिए हमने I १७ invasion, इन ढाई हज़ार वर्षों में I लेकिन फिर भी हम बच गए I बहुत बड़ी बात है यह I इतिहास उठाकर अगर हम देखतें है, तो वो सभ्यताएं नष्ट, भ्रष्ट, ध्वस्थ, काल-कवलित, चूर-चूर और समाप्त हो गयी I वह मिस्र की सभ्यता समाप्त हो गयी, वह रोमन साम्राज्य समाप्त हो गया, वह यूनान की सभ्यता समाप्त हो गयी, वह बेबीलोन ख़तम हो गया I ख़तम हो गया वह पर्शियन साम्राज्य I तो हममे ऐसा क्या है विलक्षण अद्भुत ? कि हम बच गए इतने invasions झेलने के बाद में I तो निश्चित ही रूप से हमारी रक्षा करने का जो दायित्व था वह शंकराचार्य परंपरा के ऊपर था, और शंकराचार्य परंपरा ने अपने दायित्वों का निर्वाहन बहुत दक्षतापूर्वक किया I
शंकराचार्य परंपरा सनातन धर्म के प्रशस्त मानबिन्दुओं की ढाई हज़ार वर्ष से वर्त्तमान तक रक्षा करती आ रही है I इसलिए भगवान् शंकराचार्य को जानना, समझना बहुत बड़ी बात है I
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