Source: – Sadhguru Hindi YouTube Channel
आधुनिक विज्ञान स्पष्ट शब्दों में कह रहा है, कि जल किसके संपर्क में रहा है, उसके आधार पर यह अलग तरह से पेश आता, क्योंकि पानी की भी याद्दाश्त होती है। गंगाजल कुछ खास इलाकों से होकर बहता है, जहाँ सैंकड़ों पीढ़ियों से लोग आध्यात्मिक साधना करते रहे हैं, वे इस जल के संपर्क में रहे हैं। उनकी साधना का फल उस जल में मौजूद है। लेकिन आज आप जो पानी पी रहे हैं, उसे दो-तीन जगहों पर बांधों से रोका जाता है और फिर छोड़ा जाता है। आज गंगा नदी में आने वाला ज़्यादातर पानी सुरंगों से हो कर गुजरता है, यह टरबाइनों से हो कर बाहर आ रहा है। इसलिए मैं दावे के साथ नहीं कह सकता कि इसमें वैसे ही गुण हैं, लेकिन फिर भी, चाहे आप यकीन करें या न करें, अगर आप पानी को छूते हैं, तो आप देखेंगे कि यह बहुत अलग है।